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अरविंद सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य

  • Writer: M.R Mishra
    M.R Mishra
  • Sep 27, 2024
  • 2 min read

अरविंद सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एक ऐसा मामला है जिसमें अरविंद सिंह ने धारा 482 सीआरपीसी के तहत राहत की मांग की है।


अरविंद सिंह पर कई अपराधिक मामलों में धोखाधड़ी और अन्य आरोपों के तहत मुकदमे दर्ज किए गए थे।

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हालांकि, उन्हें उन सभी मामलों में जमानत मिल चुकी थी, लेकिन जमानत के आदेश के बावजूद वे रिहा नहीं हो सके क्योंकि वे उन मामलों के लिए अलग-अलग ज़मानतें पेश नहीं कर सके।


कोर्ट का फैसला:


  1. एक ही ज़मानत पर रिहाई की मांग: अरविंद सिंह के वकील ने तर्क दिया कि चूंकि उनके मुवक्किल की आर्थिक स्थिति खराब है, इसलिए वे एक ही ज़मानत पर सभी मामलों में रिहाई की अनुमति चाहते हैं। वकील ने तर्क दिया कि छह अलग-अलग ज़मानतों की मांग करना अनुचित और उनकी आर्थिक क्षमता से बाहर है।


  2. अर्थव्यवस्था का ध्यान: अदालत ने माना कि किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए ज़मानत तय की जानी चाहिए। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि गरीब और कमजोर वर्गों के लोगों के लिए ज़मानत की कठोर शर्तें अनुचित हैं और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।


  3. एकल ज़मानत स्वीकार करने का निर्देश: अदालत ने आदेश दिया कि अरविंद सिंह के लिए एक ही ज़मानत पर्याप्त होगी ताकि उन्हें उन छह मामलों में रिहा किया जा सके। इसके अलावा, अदालत ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि ज़मानत की शर्तें उनकी आर्थिक स्थिति के अनुसार तय की जाएं ताकि वे उसे पूरा कर सकें।

  4. आर्थिक सामाजिक स्थिति का मूल्यांकन: अदालत ने ट्रायल कोर्ट को यह भी निर्देश दिया कि आरोपी की आर्थिक और सामाजिक स्थिति का भी मूल्यांकन किया जाए और उनके समुदाय में उनके जड़ होने की संभावना को देखते हुए ज़मानत की शर्तें तय की जाएं।


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निष्कर्ष:

इस आदेश से स्पष्ट है कि अदालत ने जमानत के अधिकार को मौलिक अधिकारों में शामिल किया है और यह भी कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए ज़मानत की शर्तें उदार होनी चाहिए ताकि वे भी न्याय की पहुंच में रह सकें।

 
 
 

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